9 Lakh Outsource Staff को तोहफा: उत्तर प्रदेश में कार्यरत लाखों आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए उम्मीद की किरण नज़र आने लगी है। लंबे समय से स्थायीत्व और वेतन वृद्धि की मांग कर रहे इन कर्मचारियों को जल्द ही बड़ी राहत मिल सकती है। सरकार की तरफ से प्रस्तावित “आउटसोर्स सेवा निगम” की प्रक्रिया अब तेज़ हो गई है, और कयास लगाए जा रहे हैं कि अगले कुछ महीनों में बड़ा निर्णय लिया जा सकता है।
क्या है पूरा मामला?
उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य, शिक्षा, नगरीय प्रशासन जैसे विभागों में लगभग 9 लाख कर्मचारी आउटसोर्स के ज़रिए काम कर रहे हैं। ये कर्मचारी कई सालों से अस्थायी रूप से एजेंसियों के माध्यम से कार्यरत हैं और स्थायी नौकरी व वेतन वृद्धि की मांग कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुछ महीने पहले आउटसोर्स सेवा निगम बनाने की घोषणा की थी, जिससे इन कर्मचारियों को एक पारदर्शी व सुव्यवस्थित प्लेटफॉर्म पर लाया जा सके। हालांकि, अब तक इसका औपचारिक गठन नहीं हुआ है, जिससे कर्मचारी नाराज़ हैं।
कर्मचारियों की नाराज़गी क्यों?
संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर यह मांग उठाई है कि:
- वे पिछले 5 से 10 सालों से लगातार सेवा दे रहे हैं
- बावजूद इसके उन्हें एजेंसियों के ज़रिए अस्थायी रूप से नियुक्त किया गया है
- उनकी वेतन वृद्धि नहीं हुई और ना ही भविष्य की कोई गारंटी है
इनका कहना है कि 2005 से पहले नियुक्त संविदा कर्मियों को समायोजन मिल चुका है, तो 2005 के बाद से नियुक्त कर्मचारियों को भी स्थायी किया जाए।
सरकार की तरफ से क्या हो रही है तैयारी?
सूत्रों के अनुसार, ‘आउटसोर्स सेवा निगम’ का मसौदा तैयार कर लिया गया है। इसे मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद कैबिनेट में पेश किया जाएगा।
यह निगम कर्मचारियों की नियुक्ति, वेतन भुगतान और निगरानी का कार्य करेगा। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और कर्मचारियों को एक औपचारिक ढांचा मिलेगा।
हालांकि, कुछ खबरें ये भी कहती हैं कि निगम के ज़रिए सिर्फ एजेंसियों को रेग्युलेट करने की योजना बन रही है, जिससे कर्मचारियों को सीधे लाभ नहीं मिलेगा। कर्मचारी चाहते हैं कि एजेंसी को हटाकर उन्हें सीधे निगम से जोड़ दिया जाए।
वेतन कितना बढ़ सकता है?
प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक:
- न्यूनतम वेतन ₹18,000 प्रति माह
- अधिकतम वेतन ₹25,000 तक
- वेतन पद व योग्यता के अनुसार तय होगा
- लेकिन वेतन सीधे निगम से मिले या एजेंसी से, इस पर असमंजस बरकरार है
कर्मचारियों की मांग है कि वेतन सीधा बैंक खाते में ट्रांसफर हो, जिससे बिचौलियों की भूमिका खत्म हो और समय पर पूरा वेतन मिल सके।
आउटसोर्स कर्मचारी क्या मांग कर रहे हैं?
उनकी प्रमुख मांगें हैं:
- वेतन बढ़ाया जाए और सीधे निगम से भुगतान हो
- आउटसोर्स सेवा निगम का शीघ्र गठन किया जाए
- कई वर्षों से कार्यरत कर्मचारियों को रिक्त पदों पर समायोजित किया जाए
- 2005 के बाद नियुक्त कर्मचारियों को भी स्थायीत्व दिया जाए
- निगम के नियम कर्मचारियों को वास्तविक लाभ देने वाले हों
इससे कर्मचारियों को क्या लाभ मिल सकता है?
अगर सरकार यह फैसला लेती है तो:
- लाखों कर्मचारियों को बेहतर वेतन और नौकरी की स्थायीत्व मिल सकेगी
- कर्मचारी बिना असुरक्षा के काम कर सकेंगे
- सरकार को भी जवाबदेही और पारदर्शिता की बेहतर व्यवस्था मिलेगी
- कर्मचारियों का उत्साह और प्रदर्शन दोनों बेहतर होगा
आगे क्या?
अब सबकी निगाहें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हैं। उनकी मंजूरी के बाद यह प्रस्ताव कैबिनेट के सामने जाएगा और फिर नई व्यवस्था लागू की जाएगी।
कर्मचारियों को चाहिए कि वे अपनी मांगें शांतिपूर्वक और संगठित ढंग से सरकार के सामने रखें, ताकि उनकी बात गंभीरता से सुनी जाए।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश में आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए यह समय बेहद निर्णायक है। अगर सरकार समय पर फैसला लेती है, तो यह बदलाव लाखों परिवारों की जिंदगी को बेहतर बना सकता है। वेतन और स्थायीत्व जैसी मूलभूत मांगें अगर पूरी होती हैं, तो न सिर्फ कर्मचारियों को राहत मिलेगी बल्कि प्रदेश की प्रशासनिक गुणवत्ता भी बेहतर होगी।
📝 Disclaimer:
यह लेख विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स और सार्वजनिक स्रोतों पर आधारित है। वास्तविक नीतिगत निर्णय सरकार या संबंधित विभागों द्वारा ही लिए जाएंगे। किसी भी रोजगार या वित्तीय योजना से जुड़ा निर्णय लेने से पहले अधिकृत सूचना स्रोतों से पुष्टि अवश्य करें।