Property Registration Rules Changed: अगर आप जमीन, मकान या फ्लैट खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है। अब अगर किसी कारणवश आपकी प्रॉपर्टी डील कैंसल हो जाती है, तो रजिस्ट्री फीस का रिफंड नहीं मिलेगा। सरकार ने प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव किया है, जिससे आम खरीदार को लाखों रुपये तक का नुकसान झेलना पड़ सकता है। पहले कुछ राज्यों में सीमित शर्तों के आधार पर रजिस्ट्री फीस वापस मिल जाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। आइए जानते हैं इस नए नियम का पूरा विवरण सरल भाषा में।
रजिस्ट्री फीस क्या होती है?
जब आप किसी जमीन या फ्लैट की खरीद करते हैं, तो उसे अपने नाम करवाने के लिए सरकारी दस्तावेजों में दर्ज करना होता है, जिसे रजिस्ट्री कहा जाता है। इस प्रक्रिया में दो तरह की फीस ली जाती है –
- स्टांप ड्यूटी: यह प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यू के हिसाब से होती है और राज्य सरकार द्वारा तय की जाती है।
- रजिस्ट्रेशन फीस: यह दस्तावेजों को रजिस्टर में दर्ज कराने के लिए ली जाती है, जो अक्सर प्रॉपर्टी मूल्य का 1% होती है।
पहले यदि डील किसी कारण से टूट जाती थी, तो रजिस्ट्रेशन फीस कुछ मामलों में वापस मिल जाती थी। अब यह विकल्प लगभग समाप्त कर दिया गया है।
नया नियम क्या कहता है?
कई राज्य सरकारों ने प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन से संबंधित नियमों में बदलाव कर दिया है। अब यदि किसी कारणवश आपकी डील कैंसल होती है या रजिस्ट्री निरस्त करनी पड़ती है, तो जमा की गई रजिस्ट्रेशन फीस वापस नहीं मिलेगी। नया नियम 1 जुलाई 2025 से कई राज्यों में लागू हो चुका है या जल्द लागू किया जाएगा।
रिफंड बंद करने की वजह क्या है?
सरकार का कहना है कि हर साल रजिस्ट्री फीस के रूप में करोड़ों रुपये रिफंड किए जाते हैं। कई लोग इस प्रक्रिया का दुरुपयोग कर रहे थे—फर्जी दस्तावेजों के जरिए रजिस्ट्री करवाते, फिर कोर्ट से डील निरस्त करवा कर पैसा वापस ले लेते थे। इससे सरकारी राजस्व को भारी नुकसान होता था। इसी वजह से सरकार ने ई-गवर्नेंस नीति के तहत यह फैसला लिया है, ताकि प्रक्रिया को पारदर्शी और दुरुपयोग से मुक्त बनाया जा सके।
किस पर पड़ेगा सीधा असर?
इस बदलाव से सबसे ज्यादा असर उन खरीदारों पर पड़ेगा जो डील करते समय धोखाधड़ी का शिकार हो जाते हैं या किसी वैध कारण से डील पूरी नहीं कर पाते। पहले उन्हें रजिस्ट्री फीस वापस मिल जाती थी जिससे कुछ राहत मिलती थी, लेकिन अब पूरा वित्तीय नुकसान खरीदार को उठाना पड़ेगा।
किन मामलों में रिफंड मिल सकता है?
कुछ बेहद विशेष परिस्थितियों में अब भी रजिस्ट्री फीस का रिफंड मिल सकता है, जैसे:
- कोई प्रशासनिक त्रुटि हो,
- कोर्ट द्वारा रजिस्ट्री को अमान्य घोषित किया जाए,
- सरकार किसी कारणवश खुद रजिस्ट्री को रद्द करे।
हालांकि ऐसे मामलों में भी रिफंड तुरंत नहीं मिलेगा, बल्कि लंबी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना होगा।
किन राज्यों में लागू हो रहा है नया नियम?
उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों ने इस दिशा में पहले ही कदम बढ़ा दिए हैं। कुछ जगहों पर No Refund Policy पहले से लागू है और अब अन्य राज्य भी इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। 1 जुलाई 2025 से यह नियम व्यापक रूप से लागू हो सकता है।
खरीदारों को अब क्या सावधानियां बरतनी होंगी?
नए नियमों के बाद अब खरीदारों को पहले से कहीं अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। कुछ अहम बातें जो ध्यान में रखें:
- प्रॉपर्टी की लीगल जांच ज़रूर कराएं।
- म्युटेशन, एनओसी, एनकंब्रेंस सर्टिफिकेट जैसे दस्तावेज अच्छी तरह से जांचें।
- सेल एग्रीमेंट को पूरी तरह समझें और किसी कानूनी सलाहकार से मार्गदर्शन लें।
- किसी भी एजेंट या बिचौलिए पर आँख मूंदकर भरोसा न करें।
क्या ये नियम फर्जीवाड़ा रोक पाएगा?
सरकार का मानना है कि नए नियम से फर्जी रजिस्ट्रेशन और रिफंड के गलत दावों पर रोक लगेगी। अब लोग फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कोर्ट में जाकर रिफंड नहीं ले सकेंगे, जिससे सिस्टम में पारदर्शिता और जवाबदेही आएगी। साथ ही रजिस्ट्रेशन ऑफिस में भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगने की उम्मीद है।
अगर डील रद्द हो जाए तो क्या करें?
अगर आपकी प्रॉपर्टी डील टूट जाती है, तो अब रजिस्ट्री फीस वापस नहीं मिलेगी। हालांकि कुछ राज्यों में स्टांप ड्यूटी का रिफंड अब भी संभव है, वह भी सीमित परिस्थितियों में। इसलिए डील करने से पहले पूरी जानकारी और कानूनी तैयारी ज़रूरी है।
नियम किसके पक्ष में है?
सरकार के लिए यह नियम राजस्व की सुरक्षा और नीति पारदर्शिता के लिहाज से फायदेमंद है। वहीं खरीदारों को इससे नुकसान तो है, लेकिन यदि वे सावधानीपूर्वक निर्णय लें, तो ऐसे नुकसान से बचा जा सकता है।
क्या इस नियम को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है?
कानूनी जानकारों के अनुसार अगर यह नियम खरीदारों के मौलिक अधिकारों या उपभोक्ता हितों के खिलाफ जाता है, तो इसे अदालत में चुनौती दी जा सकती है। फिलहाल किसी बड़ी याचिका की खबर नहीं है, लेकिन भविष्य में इस मुद्दे पर कानूनी लड़ाई की संभावना बनी हुई है।
निष्कर्ष
अब प्रॉपर्टी खरीदते समय सिर्फ दस्तावेज पूरे होना काफी नहीं है, बल्कि हर पहलू की कानूनी जांच ज़रूरी हो गई है। क्योंकि एक बार रजिस्ट्री फीस जमा करने के बाद उसका रिफंड अब लगभग नामुमकिन हो गया है।
Disclaimer:
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी विभिन्न मीडिया स्रोतों और सरकारी रिपोर्ट्स पर आधारित है। किसी भी वित्तीय या कानूनी निर्णय से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।